अलग बैठे थे
फिर भी आंख साकी की पड़ी हम पर,
अगर है तिश्नगी कामिल तो पैमाने भी आयेंगे।
-'मलरूह' सुल्तानपुरी
1.साकी - शराब पिलाने वाली (हसीना)
2. तिश्नगी - प्यास, पिपासा 3.कामिल - पूर्ण, मुकम्मल
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आता है जज्बे-दिल को वह अन्दाजे-मैकशी,
रिन्दों में रिन्द भी रहें, दामन भी तर न हो।
-'जोश' मल्सियानी
1.अन्दाजे-मैकशी - पीने का अन्दाज
2.रिन्द - शराबी, मैकश,
बादाख्वार
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उम्मीदे सुलह क्या हो किसी हकपरस्त से,
पीछे वो क्या हटेगा जो हद से बढ़ा न हो।
-यगाना चंगेजी
1.हकपरस्त - सत्यनिष्ट, सत्य का पुजारी,
धर्मात्मा
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कुछ लग्जिशों से काम जहाँ के संवर गए,
कुछ जुरअतें हयात पै इल्जाम बन गईं।
-बांकी सिद्दकी
1.लग्जिश - (i) फिस्लन (ii) गलती,
त्रुटि, भूल (iii) अपराध, कुसूर 2.जुरअत -
साहस, हिम्मत, उत्साह 3. हयात -
जिन्दगी
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