जब तक दहाने - जख्म न पैदा करे कोई,
मुश्किल की तुमसे राहे-सुखन वा करे कोई।
-मिर्जा गालिब
1.दहाने
– जख्म - घाव का मुंह (यानी संवेदनशीलता, हमदर्दी)
2.राहे-सुखन - शाइरी का रास्ता 3.वा - खोलना
*****
तमाम उम्र इसी एहतियात में गुजरी,
कि आशियाना कहीं शाखे-गुल पर बार नहीं।
-अंजुमन नाजिमी
1.शाखे-गुल
- फूलों की डाली
2.बार
- बोझ, भार
*****
बकद्रे-होश हर इक को यहाँ रंज मिलता है,
सुकून से रहते है यहाँ सिर्फ दीवाने।
1.बकद्रे-होश
- संवेदनशील
*****
सबका दर्द वही बाँटेंगे जो दुख सहने वाले है,
साया करने वाले बादल, सर पै धूप संभाले हैं।
*****