शेर-ओ-शायरी

   शबाब  (Prime of youth) 

जवानी ख्वाब की-सी बात है, दुनिया-ए-फानी में,
मगर यह बात किसको याद रहती है, जवानी मे।
- सीमाब अकबराबादी


1.ख्वाब - स्वप्न, सपना

2.फानी - नश्वर, नाशवान, मिट जाने वाला, न रहने वाला

 

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हर चीज पै बहार थी, हर शै में हुस्न था,
दुनिया जवान थी मेरे अहदे - शबाब में।

-बेखुद देहलवे


1.शै - चीज 2.अहदे-शबाब - युवावस्था, यौवन


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दुनिया अजब सराये – फानी देखी,

हर चीज यहाँ की आनी-जानी देखी।
जो जाके न आये वह जवानी देखी,

जो आके न जाये तो बुढ़ापा देखी।


1.(i)सरा या सराय - (i) पथिकाश्रम, मुसाफिरखाना(ii) स्थान, जगह 2.फानी - नश्वर, थोड़े दिन रहने वाला
 

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