अच्छी सीरत को देखता है कौन,
अच्छी सूरत पै जान देते हैं सब।
-बिस्मिल भरतपुरी
1.सीरत - (i) स्वभाव, आदत, प्रकृति (ii) अख्लाक, सुशीलता, सदाचार
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किसी का जौहरे-जाती कभी छुपता नहीं 'सालिक',
गले का हार बनकर, सामने किरदार आता है।
-सालिक
1.जौहरे-जाती - व्यक्तिगत गुण या सिफ्त
2.किरदार -
आचरण, व्यवहार, चलन
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जानवर, आदमी, फरिश्ता, खुदा,
आदमी की हैं सैकड़ों किस्में।
-ख्वाजा हाली
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जिन्हें जमीं पै भी चलने का शऊर नहीं,
उन्हीं का है यह तकाजा कि आसमाँ लेलो।
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