इतना तो सोच
जालिम जौरो-जफासे पहले,
यह रस्म दोस्ती की दुनिया से उठ जायेगी।
-'असर' लखनवी
1.जौरो-जफा - अत्याचार, अन्याय,
जुल्मो-सितम
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उनकी बेजा भी सुनूं, आप बजा भी न कहूं,
आखिर इन्सान हूँ मैं भी, कोई दीवार तो नहीं।
-आर्जू लखनवी
1.बेजा - अनुचित, नामुनासिब 2.
बजा - उचित, मुनासिब
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एक तेरे छुटने का
गम, एक गम उनसे मिलने का,
जिनकी इनायतों से जी और उदास हो गया।
-फिराक गोरखपुरी
1.इनायतों - मेहरबानी, कृपा, दया
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ऐ निगहे-दिलफरेब, यह क्या सितम कर दिया,
हौसले जब बढ़ गये, रब्त को कम कर दिया।
-'आर्जू' लखनवी
1.निगहे-दिलफरेब
- निगाहों को फरेब देने वाली माशूक
2.सितम
- जुल्म, अत्याचार,
अन्याय, बेइन्साफी
3. रब्त
- लगाव, तअल्लुक,
मेल-जोल
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