ले के शबनम
का मुकद्दर आये थे दुनिया में हम,
गुलशने - हस्ती में रो - रोकर गुजारी जिन्दगी।
-नरेश कुमार 'शाद'
1. शबनम - ओस, आकाश-जल
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वह एक तुम, तुम्हें फूलों पै भी न आई
नींद,
वह एक मैं, मुझे कांटों पर भी इज्तिराब न था।
-नैयर अकबराबादी
1.इज्तिराब - बेचैनी, व्याकुलता, घबराहट
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वह काले
कोस सहर की खुशी में काटे हैं,
सहर का रंग मगर रात से भी बदतर था।
1.सहर - सबेरा, प्रभात, भोर 2.बदतर - बहुत खराब
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वही जलवा है इक
उसका मुकद्दर अपना-अपना है,
किसी को नूर हो जाये, किसी के नार हो जाये।
-सबा जयपुरी
1.नूर - प्रकाश, ज्योति, आभा, रोशनी 2. नार
- (i) आग, अग्नि (ii) नरक,
दोजख
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