अब इन्हें
पहचानते भी शर्म आती है हमे,
फख करते थे कभी इनकी मुलाकातों पर।
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अब जहाँ में उनकी कब्रों के निशाँ मिलते नही,
उम्र भर जो फिक्रे-तसखीरे-जहाँ करते रहे।
-त्रिलोकचन्द महरूम
1.फिक्र –(i)उपाय, तदबीर (ii) चिंता,
सोच,विचार
2 तसखीर - वशीभूत करना, जीतना, जीतकर कब्जा करना।
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अब तो इतनी भी नहीं
मिलती मैखाने में,
जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में।
1.मैखाना -
मदिरालय, शराबखाना।
2. पैमाना - गिलास, पात्र, प्याला।
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आज वो
मौजे-हवादिस पै बहे जाते हैं,
कल जो रूख फेर दिया करते थे तूफानों का।
1. मौज -
(i) लहर, तरंग, हिल्लोल (ii) उत्साह,
उमंग, वलवला (iii) आनन्द, खुशी। 2.हवादिस -
दुर्घटनाएं, हादिसे
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