शेर-ओ-शायरी

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अब इन्हें पहचानते भी शर्म आती है हमे,
फख करते थे कभी इनकी मुलाकातों पर।

 

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अब जहाँ में उनकी कब्रों के निशाँ मिलते नही,
उम्र भर जो फिक्रे-तसखीरे-जहाँ करते रहे।

-त्रिलोकचन्द महरूम


1.फिक्र –(i)उपाय, तदबीर (ii) चिंता, सोच,विचार

2 तसखीर - वशीभूत करना, जीतना, जीतकर कब्जा करना।


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अब तो इतनी भी नहीं मिलती मैखाने में,
जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में।


1.मैखाना - मदिरालय, शराबखाना।

2. पैमाना - गिलास, पात्र, प्याला।

 

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आज वो मौजे-हवादिस पै बहे जाते हैं,
कल जो रूख फेर दिया करते थे तूफानों का।


1. मौज - (i) लहर, तरंग, हिल्लोल (ii) उत्साह, उमंग, वलवला (iii) आनन्द, खुशी। 2.हवादिस - दुर्घटनाएं, हादिसे

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