शेर-ओ-शायरी

<< Previous वक़्त [Time (never remains the same)]

 Next >>

कल अपने हाथ किसी हादसे में खो बैठा,
वही आदमी जो निहत्थों पै वार करता था।

 

*****

कल जो उठते थे बिठाने के लिये,
आज बैठे हैं उठाने के लिये।


*****

कहाँ वह खल्वतें दिन-रात की और अब यह आलम है,
कि जब मिलते हैं दिल कहता है, कोई तीसरा होता।
-फिराक गोरखपुरी


1.खल्वत- एकान्त, जहाँ दूसरा न हो, तन्हाई
2. आलम - (i) हालत, दशा, स्थिति,(ii)संसार,दुनिया

 

*****

गये दिन की तनहा था मैं अंजुमन में,
यहाँ अब मेरे राजदाँ और भी हैं।


1.अंजुमन - महफिल, बज्म 2. राजदाँ - भेद जानने वाला, घनिष्ट मित्र

*****

                 

<< Previous   page - 1-2-3-4-5-6-7-8-9-10-11-12-13  Next >>