शेर-ओ-शायरी

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जब कश्ती साबितो-सालिम थी, साहिल की तमन्ना किसको थी अब ऐसी शिकस्ता कश्ती पर, साहिल की तमन्ना कौर करे।

1.साबितो-सालिम - ठीकठाक

2. साहिल - किनारा, तट 3. शिकस्ता - टूटी हुई

 

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जब तक था दम में दम, न दबे आसमाँ से हम,
जब दम निकल गया तो जमीं ने दबा दिया।



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जिस जगह खसोखार के ढेर लगे हैं,
याँ हमने इन्हीं आँखों से देखी है बहारें।
-मीरतकी मीर


1.खसोखार - घासफूस और कांटा

 

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जिस जगह दाग से है अब बाकी,
लोग कहते हैं वहाँ आशियाने थे।
जिस जगह बस्तियाँ हैं कांटों की,
कभी निकहतो-रंग के घराने थे।
-अब्दुल हमीद 'अदम'


1.निकहत- खुश्बू, सुगन्ध, महक 2.रंग - (i) शोभा, रौनक (ii) हर्ष, ख़ुशी


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