शेर-ओ-शायरी

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बदल डाला है अब तो अंदाजे - बयां हमने,
बगरना बंद कर दी थी फरिश्तों की जुबाँ हमने।

 

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बात करने तक न आती थी तुम्हें,
यह हमारे सामने की बात है।

-हफीज जौनपुरी


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बीत जाती है एक पल में कभी,
जिन्दगी की हजार-हा घड़ियां।
एक लम्हें के इन्तिजार मं कभी,
सर्फ होती हैं सैकड़ों सदियाँ।
-जाँनिसार 'अख्तर'


1.हजार-हा - हजारों 2. सर्फ - व्यय, खर्च, उपभोग, बीतना

 

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भरी दुनिया में कोई भी नजर नहीं आता अपना,
'अदीब' इक दौर ऐसा गुजर जाता है इंसा पर।
-अदीब मालीगाँवी

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