अक्ल बारीक हुई जाती है,
रूह तारीक हुई जाती है।
-जिगर मुरादाबादी
1.बारीक - (i)
महीन, पतला (ii) सूक्ष्म, लतीफ
2.तारीक - अंधकारमय, अंधियारा
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अच्छी सीरत को देखता है कौन,
अच्छी सूरत पै जान देते हैं सब।
-बिस्मिल भरतपुरी
1.सीरत - (i) स्वभाव, आदत, प्रकृति
(ii) अख्लाक, सुशीलता, सदाचार
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अदू सैयाद-ओ -गुलचीं
क्यों हुए मेरे नशेमन के,
ये तिनके भी है इस काबिल, जिन्हें बर्बाद करते हैं।
-साकिब लखनवी
1.अदू - दुश्मन, शत्रु 2.सैयाद
- बहेलिया, चिड़िमार, आखेटक
3.गुलचीं - फूल चुनने वाला, माली 4.नशेमन - आशियाना, नीड, घोंसला
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अपने वो रहनुमा हैं कि मंजिल तो दरकनार,
कांटे रहे - तलब में बिछाते, चले गए।
-असर लखनवी
1.रहनुमा - मार्ग दिखाने वाला,
प्रथ-प्रदर्शक
2. दरकनार -
मंजिल तो दूर
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