गनीमत है कफस, फिक्रे-रिहाई क्यों करें
हमदम,
नहीं मालूम अब कैसी हवा चलती हो गुलशन में।
- साकिब लखनवी
1.कफस - पिंजड़ा, कारागार 2.फिक्रे-रिहाई -
रिहाई की चिन्ता 3.हमदम -
दोस्त, मित्र, हर समय का साथी
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गरीब लहरों पै पहरे बिठाये जाते हैं,
समंदरों की कोई तलाशी नहीं लेता।
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गुनहगारों में
शामिल हैं ,गुनाहों से नहीं वाकिफ,
सजा को जानते हैं हम, खुदा जाने खता क्या है।
-चकबस्त लखनवी
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गुलचीं ने
तो कोशिश कर डाली, सूनी हो चमन की हर डाली,
कांटों ने मुबारक काम किया, फूलों की हिफाजत कर बैठे।
-शकील बदायुनी
1.गुलचीं - माली, फूल तोड़ने वाला
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