शेर-ओ-शायरी

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बस ऐ बहार तेरी अब जरूरत नहीं रही,
बुलबुल ने कर दिया है निशेमन सुपूर्दे-जाग।


1.सुपूर्दे-जाग - कौए को सुपूर्द


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बुलबुले-नादाँ जरा रंगे-चमन से होशियार,
फूल की सूरत बनाए सैकड़ों सैयाद हैं।

-आनन्द नारायण 'मुल्ला'


1.सैयाद - बहेलिया

 

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बुलबुलो-गुल पै जो गुजरी हमको उससे क्या गरज,
हम तो गुलशन में फकत रंगे-चमन देखा किए।

-असगर गौण्डवी


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मतलबपरस्त दुनिया बदजन बना गई है,
रहजन का अब गुमाँ है हर अपने हमनशीं पर।

-शौकत थानवी


1.बदजन -किसी की ओर से बुरा विचार, ख्याल, बदगुमानी

2.रहजन -डाकू, लुटेरा,रास्ते में पथिकों को लूट लेने वाला

3. गुमाँ- शंका, शुब्ह, शक, बदगुमानी, कुधारणा

4.हमनशीं.-साथ रहने वाला, मित्र, दोस्त

 

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