यह कहाँ की दोस्ती है कि बने है दोस्त
नासेह,
कोई चारासाज होता, कोई गमगुसार होता।
-मिर्जा गालिब
1.नासेह - नसीहत करने वाला, उपदेश देने वाला
2. चारासाज - चिकित्सक, इलाज करने वाला 3. गमगुसार - सहानुभूति करने वाला, हमदर्द, गमख्वार
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यह चलती-फिरती
सूरतें जो देखते हैं आप,
कितने है इनमें वाकई इंसाँ न पूछिए।
-कमर जाफरी
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यह दुनिया है,
यहाँ हर काम चलता है सलीके से,
यहाँ पत्थर को भी लाले-गरां कहना ही पड़ता है।
-जगन्नाथ आजाद
1.लाले-गरां - कीमती लाल (एक रत्न)
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यह दोस्तों
का रवैया, यह दुश्मनों का सुलूक,
सच पूछो तो दोनों में कोई फर्क नहीं है।
-जगन्नाथ आजाद
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