वह बड़े खुशनसीब इन्साँ हैं ,
जिनकी कश्ती को नाखुदा न मिला।
-अब्दुल हमीद 'अदम'
1.नाखुदा-मल्लाह, कर्णधार
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वह की
खुलूस की तौहीन अहले-दुनिया ने,
जुबाँ पै लफ्जे-मुहब्बत गराँ गुजरता है।
- निहाल सेहरारवी
1. अहले-दुनिया
ने
- दुनिया वालों ने 2.गराँ -
भारी
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वहीं हजारों
बहिश्तें भी हैं खुदाबंदा ,
सिसक-सिसक के कटी मेरी जिन्दगी जहां।
-बहार
1.बहिश्त- स्वर्ग, जन्नत 2.खुदाबंद- हे इश्वर, हे खुदा
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वही इन्सां
जिसे सरताजे – मख्लूकात होना था,
वही अब सी रहा है अपनी अज्मत का कफन साकी।
-जिगर मुदाराबादी
1.सरताजे–मख्लूकात - सभी प्राणियों का शिरोमणि
2.अज्मत - बड़प्पन,
महानता
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