कहां से बढ़के पहुंचे हैं कहां तक
इल्मो-फन साकी
मगर आसूद इन्साँ का न तन साकी, न
मन साकी।
जिगर
मुरादाबादी
1इल्मो-फन - ज्ञान और कला
2आसूद -
संतुष्ट
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कहीं सागर लबालब हैं, कहीं खाली पियाले
हैं
यह कैसा दौर है साकी, यह क्या
तकसीम है साकी।
1सागर - शराब का पियाला
2तकसीम - बंटवारा, विभाजन, हिस्सा आदि बांटना, बांट
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कांटे किसी के
हक में, किसी को गुलो-समर,
क्या खूब एहतिमामे-गुलिस्ताँ है आज कल।
-'जिगर' मुरादाबादी
1.गुलो-समर - फूल और फल 2.
एहतिमाम - प्रबन्ध
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