रूकती नहीं किसी के लिये मौजे-जिन्दगी,
धारे से जो हटे कनारे पर आ गये।
-आनन्द नारायण 'मुल्ला'
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लब पर तबस्सुम
आँखों में आँसू,
हम लिख रहे है अफसाना-ए-हस्ती।
-तस्कीन मुहम्मद 'यासीन'
1.लब - ओष्ठ, होंठ 2. तबस्सुम -
मुस्कान, मुस्कुराहट
3.अफसाना-ए-हस्ती - जीवन की दास्तान
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लाई हयात आई
कजा ले चली चले,
अपनी खुशी आये न अपनी खुशी चले।
अच्छा तो है यही कि जहाँ में न दिल लगे,
लेकिन तो क्या करें जो न ये बेदिली चले।
दुनिया ने किसका राहे-फना में दिया है साथ,
तुम भी चले चलो यूँ ही जब तक चली चले।
-अब्राहम 'जौंक'
1.हयात – जिन्दगी 2. कजा - मृत्यु, मौत
3. राहे-फना - मौत की राह
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वक्फाए-मर्ग अब
जरूरी है,
उम्र तय करते थक रहे हैं हम।
-मीरतकी मीर
1.वक्फा - ठहराव, विराम, इन्टरवल
2. मर्ग - मौत, मृत्यु
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