शेर-ओ-शायरी

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कहने को लफ्ज दो हैं उम्मीद और हसरत,
लेकिन निहाँ इसी में दुनिया की दास्तां हैं।


1.हसरत - (i) निराशा, नाउम्मेदी (ii) दुख, कष्ट, मुसीबत (iii) लालसा, इच्छा
 

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कही किसी से न रूदादे-जिन्दगी मैंने,
गुजार देने की शै थी, गुजार दी मैंने।


1.रूदाद - कहानी, दास्तान, अफसाना 2. शै - चीज

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कांटा समझ के मुझ से न दामन बचाइए,
गुजरी हुई बहार की इक यादगार हूँ।
-मुशीर झंझानवी
 

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कांटों का भी हक है आखिर,
कौन छुड़ाए दामन अपना।
-जिगर मुरादाबादी

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