शेर-ओ-शायरी

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यह किसका ढल गया है आंचल तारों की निगाह झुक गई है,
यह किसकी मचल गई है जुल्फें, जाती हुई रात रूक गई है।
-जांनिसार अख्तर


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यह गैसुओं की घटाएं,यह लबों के मैखाने,
निगाहे-शौक खुदाया कहाँ - कहाँ ठहरे।
-आले अहमद सरूर


1.गैसू- बाल, केश 2.लब - होंठ 3.मैखाना - शराबखाना, मदिरालय

 4. निगाहे-शौक - चाहत की निगाह 5. खुदाया - हे ईश्वर, हे खुदा


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वह जुल्फें दोश पै बिखरी हुई हैं,
जहाने - आरजू थर्रा, रहा है।
-जिगर मुरादाबादी


1.दोश - कंधा

 

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सुबह दम जुल्फें न यूँ बिखराइये,
लोग धोखा खा रहे हैं, शाम का।
-'शरर' बलियावी


1 सुबह दम - सुबह-सुबह


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हम हुए, तुम हुए कि 'मीर' हुए,
उनकी जुल्फों के सभी असीर हुए।
-मीरतकी 'मीर'


1. असीर - बंदी, कैदी


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