शेर-ओ-शायरी

 << Previous  अफसर मेरठी (Afsar Merathi)  

वह गुल ताजा होंगे, जो मुर्झा गए हैं
छटेंगे यह बादल भी जो छा गए हैं।
वह संभलेंगे गेसू जो बलखा गए हैं,
 बहार आ रही है, खिजां के सहारे।

1.
खिजां - पतझड़ की ऋतु
 

*****


वह दौलत जिसका दुनिया ने मसर्रत नाम रखा है,
   तेरे जलवों के दामाने-नजर में भीक होती है।

1.
मसर्रत - आनन्द, खुशी 2.दामाने-नजर - नजर के आँचल में
 

*****

हमारे जमाने का दस्तूर यह है,
वही जीतते हैं जो खाते हैं मातें।
 

*****


 
हर खिजाँ के गुबार में हमने कारवाने - बहार देखा है,
कितने पंशमीनापोश जिस्मों में रूह को तारतार देखा है।

1.
खिजाँ - पतझड़ ऋतु 2.गुबार - धूल, रज, धुलि 3.कारवानेबहार - बहार का काफिला
4.
पंशमीनापोश - बेहतरीन ऊनी कपड़ों में छिपे या लिपटे 5.तारतार - टुकड़े-टुकड़े, रेजा-रेजा
 

 *****

                                                << Previous   1 - 2 - 3 - 4