शेर-ओ-शायरी

 अनवर साबरी  (Anwar Saabari)

इसी का नाम है मजबूरी-ए-दिल, उनके कूचे में,
न जाने की कसम सौ बार खालेना, मगर जाना।

1.
कूचा -  गली
 

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यह इन्किलाबे - दौरे - जमाना तो देखिए,
मंजिल पै वो मिले जो शरीके-सफर न थे।

1.
इन्किलाबे-दौरे-जमाना - जमाने का बदलाव, परिवर्तन या उलट-फेर, समय का उलट-फेर 2.शरीके-सफर - सफर में शामिल
 

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