शेर-ओ-शायरी

अज़ीज़ बीकानेरी  (Aziz Bikaneri)

उसने महशर यहीं देख लिया,
जिसने तेरा शबाब देखा है।

1.
महशर - कयामत

2.शबाब - (i) जवानी, यौवन, युवावस्था (ii) किसी चीज की उत्तम अवस्था
 

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होने को यूँ तो लाख है अपने मगर 'अजीज',
अपना वही है, वक्त पै जो काम आ गया।
 

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जीना मरना हिज्र के बीमार का क्या चीज है,
इक तेरे आने का नाम, इक तेरे जाने का नाम।

1.
हिज्र - वियोग, विरह
 

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