शेर-ओ-शायरी

 

            बशीर फारूखी  (Bashir Faarukhi)
 

बढ़ के रोक दूँ रफ्तारे-सहर आज की रात,
 
रोज आते हैं कहाँ आपके जैसे, मेहमां।

 1.
रफ्तारे-सहर - सुबह हाने की रफ्तार

 

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