जब वो मेरे करीब
होते हैं, खाक जलकर रकीब होते हैं,
रश्क आता है उस मुकद्दर पर, आप जिसके हबीब होते हैं।
1. रकीब –
प्रतिद्वंद्वी, जिससे मुकाबला
हो 2.रश्क - इर्श्या, जलन
3. हबीब - (i) दोस्त, मित्र (ii) माशूक
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जब तक ने देखा था
कदे-यार का आलम,
मैं मोतकदे-फित्ना-ए-महशर न हुआ था।
-मिर्जा गालिब
1.कदे-यार - माशूक का डीलडौल
2.मोतकदे-फित्ना-ए-महशर - कयामत के दिन
होने वाले उथल-पुथल का विश्वास
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जब सूर्खिए-गुलशन का कभी जिक्र हुआ है,
तेरे लबो-रूखसार की बात आ ही गई है।
-मजहर इमाम
1.सूर्खिए-गुलशन - गुलशन की लाली
2. लबो-रूखसार - होंठ और गाल
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जबां से गर किया भी वादा तुमने तो यकीं किसको,
निगाहें साफ कहती है कि देखो यूँ मुकरते हैं।
-मिर्जा दाग
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