पीते-पीते जब भी आया तेरी आंखों का खयाल,
मैंने अपने हाथ से तोड़े हैं पैमाने बहुत।
-हुनर टौंकी
1.पैमाना - शराब पीने का गिलास,
पान-पात्र
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पुरकैफ किस तरह
है सितमगर की गुफ्तगू,
सागर छलक रहा है मये-खुशगवार का।
-'असर' लखनवी
1.पुरकैफ - नशे मे चूर, मस्त, मदभरी
2.सितमगर - नशीली, सितम ढाने वाला, जालिम 3.गुफ्तगू - वार्तालाप,
बात-चीत 4.सागर - शराब पीने का
गिलास, पान-पात्र 5.खुशगवार -
जो मन को अच्छा लगे, मनोवांछित
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पूछ न ऐ दोस्त
मुझसे मेरी उलझन का सबब,
मैंने देखा है तेरी जुल्फे-परीशाँ की तरफ।
-तस्कीन अजमेरी
1.सबब - कारण, वजह
2.जुल्फे-परीशाँ - बिखरी हुई जुल्फें
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पूछा जो उनसे चाँद निकलता है किस तरह,
जुल्फों को रूख पै डालके झटका दिया कि यूँ।
-आर्जू लखनवी
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