शेर-ओ-शायरी

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मैंने खुद अपना सफीना नज्रे-तूफां कर दिया,
यास की नजरों से तकता ही रहा साहिल मुझे।

-अनवर मिर्जापुरी


1.सफीना - नाव, नौका, कश्ती 2. नज्रे-तूफां - तूफान की भेंट

3. यास - निराशा 4. साहिल - किनारा, तट
 

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मैंने यूं कश्ती का रूख सू-ए-तूफां कर दिया,
साजगारे-दिल हवा-ए-दामने-साहिल न था।

-'अलम' मुजफ्फरनगरी


1.सू-ए-तूफां - तूफान की ओर 2. साजगारे-दिल - दिल के मुआफिक या अनुकूल, जो बात दिल को पसंद आ जाए
3. हवा-ए-दामने-साहिल - साहिल के आँचल की हवा

 

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मौतो-हस्ती की कशाकश में कटी उम्र तमाम,
गम ने जीने न दिया, शौक ने मरने न दिया।


1.कशाकश - खींचा-खींची, आपाधापी

यह सोचते रहे और बहार खत्म हुई,
कहाँ चमन में आशियाना बने या न बने।

-'असर' लखनवी

 

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