अपना तो आशिकी का किस्सा-ए-मुख्तसर है,
हम जा मिले खुदा से दिलबर बदल-बदल कर।
1.किस्सा-ए-मुख्तसर-
संक्षिप्त कहानी
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अब तो चलते हैं बुतकदे से ऐ 'मीर',
फिर मिलेंगे गर खुदा लाया।
-मीरतकी मीर
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आदम को मत खुदा कहो, आदम खुदा नही,
लेकिन खुदा के नूर से, आदम जुदा नहीं।
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आशिकी से मिलेगा खुदा,
बंदगी से खुदा नहीं मिलता।
-दाग
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