शेर-ओ-शायरी

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नतीजा बेसबब महफिल से उठवाने का क्या होगा,
न होंगे हम तो साकी तेरे मैखाने का क्या होगा।


1. बेसबब - अकारण, बेवजह

 

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नित नए जख्म दिल के सीता हूँ,
जीना मुश्किल है फिर भी जीता हूँ।
खा न जाए मुझे गमे - हस्ती,
एहतियातन शराब पीता हूँ।

-नरेश कुमार'शाद'


1.गमे-हस्ती - जिन्दगी की तकलीफें

 

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पियूं शराब अगर खुम भी देख लूं दो चार,
ये शीशा-ओ-कदहो-कूजा और सुबू क्या है।

-मिर्जा गालिब


1.खुम - मटका 2. शीशा, कदह, कूजा औ

सुबू -शराब पीने के आम बर्तन
 

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पिला दे औक से साकी जो मुझसे नफरत है,
पियाला गर नहीं देता न दे, शराब तो दे।

-मिर्जा 'गालिब'


1.औक - अंजुली

 

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