शेर-ओ-शायरी

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मरीजे-गम को तसल्लियों से कहीं सिवा दे रहा है तसकीं,
वह चमकता हुआ सा आंसू
जो दीदा-ए -चारासाज में है।
-आनन्द नारायण मुल्ला


1मरीजे-गम-विरह संतप्त व्यक्ति 2.सिवा- अधिक
3.तसकीं-(i) सान्त्वना, ढाढस, दिलासा (ii) संतोष, इत्मीनान (iii) पीड़ा और दर्द में कमी, आराम 4.दीदा-ए-चारासाज - चिकित्सक (यानी महबूबा या माशूक या किसी चाहने वाले ) की आँख

 

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माना कि तेरे दीद का काबिल नहीं हूँ मैं,
तू मेरा शौक देख, मेरा इन्तिजार देख।
-मोहम्मद इकबाल


1.दीद - दर्शन, दीदार

 

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मामलाते - जवानी न पूछ ऐ हमदम,
लुटा सकून तो हासिल हुआ करार मुझे।
-अदीब मालीगांवी


1. हमदम - हर समय का साथी, दोस्त, मित्र अदीब मालीगांवी

 

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मायूस तो हूँ वादे से तेरे कुछ आस नहीं और आस भी है,
मैं अपने खयालों के सदके, तू पास नहीं और पास भी है।
हमने तो खुशी मांगी थी मगर जो तूने दिया अच्छा ही किया,
जिस गम का तअल्लुक हो तुमसे वो रास नहीं और रास भी है।
अश्कों से छलकती आंखों में तस्वीर झलकती है तेरी,
दीदार की प्यासी आंखों को, अब प्यास नहीं और प्यास भी है।
-साहिर लुधियानवी

 

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