मैं देखूँ तो सही यह दुनिया तुझे कैसे सताती है,
कोई दिन के लिए तुम अपनी निगहबानी मुझे दे दो।
-साहिर लुधियानवी
1.निगहबानी - देखरेख, संरक्षण
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मैं परीशाँ था, परीशाँ हूँ, नई बात नहीं,
आज वो भी है परीशान, खुदा खैर करे।
-उमर अंसारी
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मैं बुलाता
तो हूँ उसको मगर ऐ जज्बए-दिल,
उस पै बन आये कुछ ऐसी कि बिन आये न बन।
मौत की राह न देखूं कि बिन आये न रहे,
तुमको चाहूं न आओ तो बुलाये न बने।
इश्क पै जोर नहीं, है ये वो आतिश 'गालिब',
कि लगाये न लगे और बुझाये न बने।
-मिर्जा गालिब
1.जज्बए-दिल - दिल की कशिश
2.आतिश - आग
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मैं
हुआ बर्बाद अपने शौक से,
आप पर तो मुफ्त का इल्जाम है।
-शंकर जोधपुरी
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