शेर-ओ-शायरी

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हसरत से उस कूचे को क्यों कर न देखिये
अपना भी इस चमन में कभी आशियाना था।

-दाग


1.कूचे - गली
 

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हायरे तेरी जुस्तजू का फरेब

हर कदम पै गुमाने-मंजिल था।
उसकी बेदाद का नहीं शिकवा,
मेरा ही शौक मेरा कातिल था।

-असर लखनवी


1.जुस्तजू - तलाश, खोज 2.फरेब - (i) छल, कपट, धोखा (ii) बहाना 3.गुमान - शंका, शुबह, शक 4.बेदाद - जुल्म, अत्याचार

 

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हिजाबे-जलवा की अहले-नजर परवानहीं करते
वह तो पर्दों में भी उनका रू-ए-जेबा देख लेते हैं।

-जोश मल्सियानी


1.हिजाबे-जलवा - बनाव-सिंगार पर घूँघट डालना 2. अहले-नजर - नजर वाले 3.रू-ए-जेबा - सुन्दर मुखड़ा या चेहरा
 

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हिज्र की शब और तन्हाई

न आप आये, न मौत आई है।
-बेताब अलीपुरी


1.हिज्र - विरह, वियोग 2.शब - रात

 

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