हसरत से
उस कूचे को क्यों कर न देखिये
अपना भी इस चमन में कभी आशियाना था।
-दाग
1.कूचे - गली
*****
हायरे
तेरी जुस्तजू का फरेब
हर कदम पै गुमाने-मंजिल था।
उसकी बेदाद का नहीं शिकवा,
मेरा ही शौक मेरा कातिल था।
-असर लखनवी
1.जुस्तजू - तलाश, खोज
2.फरेब - (i) छल, कपट, धोखा (ii)
बहाना 3.गुमान - शंका, शुबह,
शक 4.बेदाद - जुल्म,
अत्याचार
*****
हिजाबे-जलवा की
अहले-नजर परवानहीं करते
वह तो पर्दों में भी उनका रू-ए-जेबा देख लेते हैं।
-जोश मल्सियानी
1.हिजाबे-जलवा - बनाव-सिंगार पर घूँघट
डालना 2. अहले-नजर - नजर वाले
3.रू-ए-जेबा - सुन्दर मुखड़ा या
चेहरा
*****
हिज्र की
शब और तन्हाई
न आप आये, न मौत आई है।
-बेताब अलीपुरी
1.हिज्र - विरह, वियोग 2.शब -
रात
*****
<< Previous
page
-1-2-3-4-5-6-7-8-9-10-11-12-13-14-15-16-17-18-19-20-21-22-23-24-25-26-27-28-29-30-31-32-33-34-35-36-37-38-39-40-41-42-43-44-45-46-47-48-49-50-51-52-53-54-55-56-57-58-59-60-61-62-63-64-65-66-67-68-69-70-71-72-73-74-75-76-77-78-79-80-81-82-83-84-85-86-87-88-89-90-91-92-93-94-95-96-97-98-99-100-101-102-103-104-105-106-107-108-109-110-111-112-113-114-115-116-117-118-119-120-121-122-123-124-125-126-127-128-129-130-131-132-133-134-135-136-137-138-139-140-141-142-143-144-145-146-147-148-149-150-151-152-153-154-155-156-157-158-159-160
Next
>>