शेर-ओ-शायरी

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अजाबे-जां है खुदा जाने क्यों यह आजादी,
सुकून था जो कफस में वह आशियां में नहीं।

-'दिल' शाहजहाँपुरी


1.अजाब - यातना, पीड़ा, दुःख, तकलीफ
2.कफस - पिंजड़ा

 

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अदा निगाहों से होता है फर्जे-गोयाई,
जुबां की हद से जब शौके-बयां गुजरता है।

-निहाल सेहरारवी


1.फर्जे-गोयाई- बात करने या बोलने का फर्ज 2.शौके-बयां - चाहत

 का बयान करना


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अनगिनत लोगों ने दुनिया में मुहब्बत की है,
कौन कहता है कि सादिक न थे जज्बे उनके,
लेकिन उनके लिए तश्हीर का सामान नहीं,
क्योंकि ये लोग भी अपनी तरह मुफलिस थे।

-साहिर लुधियानवी


1.सादिक– सच्चा
 
2.तश्हीर- विज्ञापन 3.मुफलिस- गरीब

 

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'अनीस' आसाँ नहीं आबाद करना घर मुहब्बत का,
यह उनका काम है जो जिन्दगी बरबाद करते हैं।

-मीर अनीस

 

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