अजाबे-जां है खुदा जाने क्यों यह
आजादी,
सुकून था जो कफस में वह आशियां में नहीं।
-'दिल' शाहजहाँपुरी
1.अजाब
- यातना, पीड़ा, दुःख, तकलीफ
2.कफस
- पिंजड़ा
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अदा निगाहों से होता है फर्जे-गोयाई,
जुबां की हद से जब शौके-बयां गुजरता है।
-निहाल सेहरारवी
1.फर्जे-गोयाई- बात करने या बोलने का फर्ज
2.शौके-बयां
- चाहत
का बयान करना
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अनगिनत लोगों
ने दुनिया में मुहब्बत की है,
कौन कहता है कि सादिक न थे जज्बे उनके,
लेकिन उनके लिए तश्हीर का सामान नहीं,
क्योंकि ये लोग भी अपनी तरह मुफलिस थे।
-साहिर लुधियानवी
1.सादिक– सच्चा
2.तश्हीर-
विज्ञापन 3.मुफलिस-
गरीब
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'अनीस' आसाँ नहीं आबाद करना घर मुहब्बत का,
यह उनका काम है जो जिन्दगी बरबाद करते हैं।
-मीर अनीस
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