शेर-ओ-शायरी

<< Previous  मोहब्बत (Love)  Next>>

जो तुमसे कर दिया महरूम आसमाँ ने मुझे,
मैं अपनी जिन्दगी गर्के-गुनाह कर लूँगा।

-अख्तर शीरानी


1.गर्के-गुनाह - गुनाहों में डूबा देना
 

*****


जो तू गमख्वार हो जाये तो गम क्या,
जमाना क्या, जमाने के सितम क्या।

-त्रिलोकचन्द महरूम


1.गमख्वार - हमदर्द, सहानुभूति करने या दिखाने
 वाला ,दुख-दर्द बांटने वाला


*****

जो थके-थके  से थे हौसले वो  शबाब  बनके  मचल गये,

जो नजर, नजर से गले मिली तो बुझे चिराग भी जल गये।

 

1.शबाब -  युवावस्था, जवानी

 

*****


जो दर्द से वाकिफ हैं वह खूब समझते है,
राहत में तुझे खोया, तकलीफ में पाया है।
-असर लखनवी
 

*****


 

<< Previous  page - 11-12-13-14-15-16-17-18-19-20-21-22-23-24-25-26-27-28-29-30-31-32-33-34-35-36-37-38-39-40-41-42-43-44-45-46-47-48-49-50-51-52-53-54-55-56-57-58-59-60-61-62-63-64-

65-66-67-68-69-70-71-72-73-74-75-76-77-78-79-80-81-82-83-84-85-86-87-88-89-90-91-92-93-94-95-96-97-98-99-100-101-102-103-

104-105-106-107-108-109-110-111-112-113-114-115-116-117-118-119-120-121-122-123-124-125-126-127-128-129-130-131-132-133-134-135-136-137-138-139-140-141-142-143-144-145-146-147-148-149-150-151-152-153-154-155-156-157-158-159-160      Next>>