हजार बर्क गिरें, लाख आंधियां उठें,
वह फूल खिल के रहेंगे, जो खिलने वाले हैं।
-'साहिर' लुधियानवी
1.बर्क - बिजली
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हर खिजाँ के गुबार में हमने कारवाने - बहार देखा है,
कितने पंशमीनापोश जिस्मों में रूह को तारतार देखा है।
-अफसर मेरठी
1.खिजाँ - पतझड़ ऋतु 2.गुबार - धूल, रज, धुलि
3.कारवाने–बहार - बहार का काफिला 4.पंशमीनापोश - बेहतरीन ऊनी कपड़ों में छिपे या लिपटे 5.तारतार - टुकड़े-टुकड़े, रेजा-रेजा
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होके मायूस न आंगन से उखाड़ो पौधे,
धूप बरसी है तो बारिश भी यहीं पर होगी।
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