इक मैं कि इन्तिजार में घड़ियाँ गिना
करूँ,
इक तुम कि मुझसे आंख चुराकर चले गये।
-जोश मल्सियानी
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आता है जज्बे-दिल को यह अंदाजे-मैकशी,
रिन्दों में रिन्द भी रहें,दामन भी तर न हो।
-जोश मल्सियानी
1. जज्बे-दिल
- दिल की कशिश 2. अंदाजे-मैकशी
- शराब पीने का अंदाज 3. रिन्दों
– शराबियों, मैकश, बादाक्ष्वार
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अपनों की दोस्ती ने सिखाया है यह सबक,
गैरों की दुश्मनी भी इनायत से कम नहीं।
-'जोश' मल्सियानी
1. इनायत
- मेहरबानी
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अपनों की दोस्ती ने सिखाया है यह सबक,
गैरों की दोस्ती भी इनायत से कम नहीं।
-'जोश' मल्सियानी
1. सबक
- सीख, पाठ 2. इनायत - मेहरबानी