शेर-ओ-शायरी

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तेरी हमदर्द नजरों से मिला ऐसा सुकूं मुझको,
मैं ऐसा सुकूं मरकर भी शायद पा नहीं सकता।
-जाँनिसार अख्तर


1. हमदर्द - दुख-दर्द बांटने वाली या वाला

 

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'दाग' दुश्मन से भी झुककर मिलिए,
कुछ अजीब चीज मिलनसारी है।
-दाग

 

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दुश्मनी जम कर करो मगर इतना याद रहे,
जब भी फिर दोस्त बन
जायें, शर्मिन्दा न हो।

 


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दुश्मन भी हो तो दोस्ती से पेश आये हम,
बेगानगी से अपना नहीं आश्ना मिजाज।

-आतिश


1.बेगानगी - (i) परायापन (ii) अनजानापन, ज्ञान का न होना, बेइल्मी 2.आश्ना - परिचित, वाकिफ

 

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