शेर-ओ-शायरी

                  एहसन मारहरवी  (Ehsan Marharvi)

बड़े नाफहम हैं वह जो उन्हें कातिल समझते हैं ,
हम उनकी दिलसिताई को हयाते-दिल समझते हैं।
मजालिम ही सही वाबस्तगी तो उनसे कायम है,
गनीमत है कि वह हमको किसी काबिल समझते हैं।

 1.
नाफहम - मूर्ख, नासमझ, जो बात न समझ सके
 2.
हयात- जिंदगी 3. मजालिम - अत्याचार, ज्यादतियां , जुल्म

 4. वाबस्तगी - (i) बंधन, संपर्क, संबंध (ii) प्रेम, अपनापन

 

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