शेर-ओ-शायरी

   

              गुलाम हमदानी (Ghulam Hamdani)

हसरत पै उस मुसाफिरे-बेकस की रोइए,
जो थक के बैठ जाता हो मंजिल के सामने।

 1.
बेकस - बेबस, निस्सहाय, निराश्रय

 

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