सौ-सौ उम्मीदें
बंधती है, इक-इक निगाह पर,
मुझको न ऐसे प्यार से देखा करे कोई।
*****
मेरी निगाह
में वह रिन्द रिन्द नहीं साकी,
जो होशियारी और मस्ती में इम्तियाज करे।
1.रिन्द – शराबी 2.इम्तियाज
- फर्क, अन्तर
*****