अदू
सैयाद-ओ -गुलचीं क्यों हुए मेरे नशेमन के,
ये
तिनके भी है इस काबिल,
जिन्हें बर्बाद करते हैं।
1.अदू
-
दुश्मन,
शत्रु
2.सैयाद
-
बहेलिया,
चिड़ीमार,
आखेटक
3.गुलचीं
-
फूल
चुनने
वाला,
माली
4.नशेमन
-
आशियाना,
नीड,
घोंसला
*****
आइना
हो जाये मेरा इश्क उसके हुस्न का,
क्या
मजा हो दर्द गर खुद ही दवा देने लगे।
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आधी
से जियादा शबे-गम काट चुके हैं,
अब
भी आ जाओ तो यह रात बड़ी है।
1.शबे-गम
-
विरह
की रात
*****
इस
दर्द-ए-मुहब्बत के अन्दाज निराले हैं,
घटता
तो मरज होता,बढ़ता
तो दवा होता।
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