शेर-ओ-शायरी

साकिब लखनवी (Saqib Lukhnavi)  Next >>

अदू सैयाद-ओ -गुलचीं क्यों हुए मेरे नशेमन के,
ये तिनके भी है इस काबिल, जिन्हें बर्बाद करते हैं।
 

 1.अदू - दुश्मन, शत्रु 2.सैयाद - बहेलिया, चिड़ीमार, आखेटक
 3.
गुलचीं - फूल चुनने वाला, माली 4.नशेमन - आशियाना, नीड, घोंसला
 

*****


 
आइना हो जाये मेरा इश्क उसके हुस्न का,
 
क्या मजा हो दर्द गर खुद ही दवा देने लगे।
 

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आधी से जियादा शबे-गम काट चुके हैं,
 
अब भी आ जाओ तो यह रात बड़ी है।

 1.
शबे-गम - विरह की रात
 

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इस दर्द-ए-मुहब्बत के अन्दाज निराले हैं,
 
घटता तो मरज होता,बढ़ता तो दवा होता।
 

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