शेर-ओ-शायरी

त्रिलोकचन्द महरूम (Trilok ChandMehroom)  Next>>

                                                                                      

इन बेनियाजियों पै दिल है रहीने-शौक,
 
क्या जाने इसको क्या हो जो परवा करे कोई।
 
 
1 बेनियाज़ियाँ - उपेक्षा, ध्यान न देना
 2.
रहीने-शौक - चाहत को बंधक रखना यानी जिसने अपने चाहत या अभिलाषा या ख्वाहिश को किसी के पास गिरवी रखा हो।
 

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अब जहाँ में उनकी कब्रों के निशाँ मिलते नही,
 
उम्र भर जो फिक्रे-तसखीरे-जहाँ करते रहे।

 1.
फिक्र (i)उपाय, तदबीर (ii) चिंता, सोच,विचार
 2
तसखीर - वशीभूत करना, जीतना, जीतकर कब्जा करना।

 

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किस मुंह से जाके शिकवा-ए-जौरो-जफा करें,
 
मरते हैं और, आप की पशेमानियों से हम।

 1.
जफा - जुल्मोसितम 2.पशेमानियों - पश्चाताप, अफसोस
 

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खलिश ने दिल को मेरे कुछ मजा दिया ऐसा,
 
कि जमा करता हूँ मैं खार आशियां के लिये।

 1.
खलिश - (i) चुभन, दर्द की टीस (ii) चिन्ता, फिक्र, उलझन

2.खार - कांटा
 

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