शेर-ओ-शायरी

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जहाँ सिज्दे को मन आया वहीं पर लिया सिज्दा,
न कोई संगे - दर अपना न कोई आस्तां अपना।


1.सिज्दा - ईश्वर के लिए सर झुकाना, नमाज में जमीन पर सर रखना
2संगे–दर - चौखट 3. आस्तां - दहलीज, ड्योढ़ी, चौखट.

 

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जाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठकर,
या वो जगह बता दे जहां पर खुदा नहीं।


1.जाहिद - संयम, नियम और जप-तप करने वाला व्यक्ति

 

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जिन्दगी अपनी जब इस शक्ल से गुजरी 'गालिब',
हम भी क्या याद करेंगे कि खुदा रखते थे।

-मिर्जा 'गालिब'

 

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तिफ्ल-ए-शीरख्वार को ज्यों-ज्यों शऊर हो चला,
जितना खुदा के पास था, उतना ही दूर हो चला।


1.शीरख्वार - दूध मुंहा बच्चा

2.शऊर - (i) विवेक, समझ, अच्छे-बुरे की पहचान
(ii) सभ्यता, तमीज (iii) शिष्टता, सलीका

 

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