शेर-ओ-शायरी

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रकीबों ने रपट लिखवाई है यह जा के थाने में,
कि 'अकबर' नाम लेता है खुदा का इस जमाने में।

-अकबर इलाहाबादी


1.रकीब - प्रतिद्वंद्वी , एक स्त्री से प्रेम करने वाले दो व्यक्ति परस्पर रकीब होते हैं।
 

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रिन्दाने-जहां से ये नफरत, ऐ हजरते-वाइज क्या कहना,
अल्लाह के आगे बस न चला, बंदों से बगावत कर बैठे।

-फैज अहमद 'फैज'


1.रिन्दाने-जहां - मैकशी की दुनिया यानी शराब पीने वाले

2.हजरते-वाइज - धर्मोपदेशक महोदय

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सिज्दे करते भी हैं इंसां खुद दरे-इंसां पै रोज,
और फिर कहते भी है, बंदा खुदा होता नहीं।

-अर्श मल्सियानी
 

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हम खुदा थे गर न होता दिल में कोई मुद्दआ,
आरजूओं ने हमारी हमको बंदा कर दिया।


1.मुद्दआ - (i) स्वार्थ, गरज (ii) मतलब, आशय (iii) उद्देश्य, मंशा

 

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हर जर्रा चमकता है, अनवारे – इलाही से,
हर सांस यह कहती है, हम हैं तो खुदा भी है।

-अकबर इलाहाबादी

1. अनवार - प्रकाशपुंज, जगमगाहट, रोशनियां('नूर’ का बहुबचन)
2. इलाही - ईश्वर, खुदा, मेरा ईश्वर, मेरा खुदा

 

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