शेर-ओ-शायरी

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तेरा करम तो आम है दुनिया के वास्ते,
मैं कितना ले सका, यह मुकद्दर की बात है।


1. करम - कृपा, मेहरबानी

 

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दावर के सामने बुते-काफिर को क्या कहें,
दोनों की शक्ल एक है, किसको खुदा कहूँ
मारो भी तुम, जिलाओ भी तुम तुमको क्या कहूँ,
तुमको खुदा कहूँ या खुदा को खुदा कहूँ।

-रियाज खैराबादी


1. दावर – ईश्वर 2.बुते-काफिर - बेहद हसीन औरत

                    ( के लिए प्रयुक्त )

 

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बंदे न होंगे जितने खुदा हैं खुदाई में,
किस-किस खुदा के सामने सिज्दा करे कोई।


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 यही हुस्नो-इश्क का राज है कोई राज इसके सिवा नहीं
जो खुदा नहीं तो खुदी नही, जो खुदी नहीं तो खुदा नहीं।

-जिगर मुरादाबादी


1.खुदी - (i) अस्तित्व,स्वयं के होने का भाव, यह भाव की हम है (ii) अहंकार, अभिमान, घमंड

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