शेर-ओ-शायरी

अदीब सहारनपुरी (Adib Saharanpuri)  

  अपने-अपने हौसले,अपने तलब की बात है,
चुन लिया हमने तुम्हें सारा जहाँ रहने दिया।

1.
तलब -  इच्छा, ख्वाहिश, आरजू
 

*****


कफस में रहके भी हम तो उन्हें भुला न सके,
 हमें भी याद किया कभी आशियाँ वालों ने।

1.
कफस - पिंजडा 2.आशियाँ - घोंसला, नीड़

*****


कौन इस तर्जे-जफा-ए-आसमाँ की दाद दे,
बाग सारा फूँक डाला, आशियाँ रहने दिया।

1.
जफा - सितम, अत्याचार

*****