शेर-ओ-शायरी

 

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 इस लिये चुप हूँ कि बात और न बढ़ जाये कही,
 
वर्ना सच ये है कि कुछ तुमसे गिला है तो सही।
 

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कुछ निगाहों से पिला साकी,
 
हमको नश्शा-ए-पाईदार चाहिए।

 1.
नश्शा-ए-पाईदार - देर रहने वाला

 

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खुदा गवाह है दोनों हैं दुश्मने-परवाज,
 
गमे-कफस हो या राहत हो आशियाने की।

 1.
परवाज - उड़ान 2.गमे-कफस - पिंजड़े या कारागार में रहने गम
 

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खुदा या नाखुदा अब जिस को चाहो बख्श दो इज्जत,
 
हकीकत में तो किश्ती इत्तिफाकन बच गई अपनी।
 

 1.
नाखुदा - मल्लाह, कर्णधार, नाविक
 

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