इस लिये चुप हूँ कि बात और न बढ़ जाये कही,
वर्ना सच ये है कि कुछ तुमसे गिला है तो सही।
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कुछ निगाहों से पिला साकी,
हमको नश्शा-ए-पाईदार चाहिए।
1.
नश्शा-ए-पाईदार -
देर
रहने
वाला
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खुदा गवाह है दोनों हैं दुश्मने-परवाज,
गमे-कफस हो या राहत हो आशियाने की।
1.परवाज
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उड़ान
2.गमे-कफस
-
पिंजड़े
या कारागार में रहने गम
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खुदा या नाखुदा अब जिस को चाहो बख्श दो इज्जत,
हकीकत में तो किश्ती इत्तिफाकन बच गई अपनी।
1.नाखुदा
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मल्लाह,
कर्णधार,
नाविक
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