शेर-ओ-शायरी

 

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गलत कि उनकी जफा को भुला दिया मैंने,
मगर ये सच है कि वो याद आये जाते हैं।

 1.
जफा - जुल्म, अत्याचार, सितम
 

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तर्के - तअल्लुकात खुद अपना कसूर था,
 
अब क्या गिला कि उसको हमारी खबर नहीं।

 1.
तर्के - तअल्लुकात - संबंधों का त्याग

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फकत इक शगले - बेकारी है अब बादाकशी अपनी,
 
वो महफिल उठ गई कायम थी जिससे सर-खुशी अपनी।
 

 1.
शगलेबेकारी - बेकार का काम 2. बादाकशी - शराब पीना
 3.
सर-खुशी - हलका नशा, हलके नशे से उत्पन्न मस्ती
 

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मुझे जिन्दगी की दुआ देने वाले,
 
हँसी आ रही है तेरी सादगी पर।
 

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