शेर-ओ-शायरी

 

    गुलजार देहलवी (Gulzar Dehlavi)

जहाँ इन्सानियत वहशत के आगे जिबह होती है,
वहां जिल्लत है दम लेना वहां बेहतर है मर जाना।


1.वहशत - (1) भय, डर (2) पागलपन

 

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