जहाँ इन्सानियत
वहशत के आगे जिबह होती है,
वहां जिल्लत है दम लेना वहां बेहतर है मर जाना।
1.वहशत - (1) भय, डर (2) पागलपन
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शेर-ओ-शायरी
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शेर-ओ-शायरी
गुलजार देहलवी (Gulzar Dehlavi)
जहाँ इन्सानियत
वहशत के आगे जिबह होती है, *****
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