शेर-ओ-शायरी

जफर (Jafar)

'जफर' आदमी उसको न जानिएगा,
 
हो वो कैसा ही साहिबे-फहमो-जका।
 
जिसे ऐश में यादे - खुदा न रहा,
 
जिसे तैश में खौफे - खुदा न रहा।

 1
साहिबे-फहमो-जका - समझ-बूझ वाला, विवेकशील, समझदार
 2.
ऐश- भोग-विलास, खाने-पीने का आनन्द, विषयवासना
 3.
तैश - क्रोध, कोप, गुस्सा
 

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यह चमन यूं ही रहेगा और हजारों जानवर,
 
अपनी-अपनी बोलियाँ सब बोलकर उड़ जायेंगे।
 

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ले गया छीन के कौन, आज तेरा सब्रो-करार,
 
बेकरारी तुझे ऐ दिल, कभी ऐसी तो न थी।
 

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