'जफर'
आदमी उसको न
जानिएगा,
हो वो कैसा ही साहिबे-फहमो-जका।
जिसे ऐश में यादे - खुदा न रहा,
जिसे तैश में खौफे - खुदा न रहा।
1साहिबे-फहमो-जका
-
समझ-बूझ
वाला,
विवेकशील,
समझदार
2.
ऐश-
भोग-विलास,
खाने-पीने का आनन्द,
विषयवासना
3.तैश
-
क्रोध,
कोप,
गुस्सा
*****
यह चमन यूं ही रहेगा और हजारों जानवर,
अपनी-अपनी बोलियाँ सब बोलकर उड़ जायेंगे।
*****
ले गया छीन के कौन,
आज तेरा सब्रो-करार,
बेकरारी तुझे ऐ दिल,
कभी ऐसी तो न थी।
*****