शेर-ओ-शायरी

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कोई इन फूलों की किस्मत देखना,
जिन्दगी कांटों में पलकर रह गई।
-'अर्श' भोपाली

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कौन इस तर्जे-जफा-ए-आसमाँ की दाद दे,
बाग सारा फूँक डाला, आशियाँ रहने दिया।
-'अदीब' सहारनपुरी


1.जफा - सितम, अत्याचार

 

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खुदा तौफीक देता है उन्हें जो यह समझते हैं,
कि खुद अपने ही हाथों से बना करती हैं तकदीरें।
-'अफसर' मेरठी


1.तौफीक - (i) दैव योग से ऐसे कारण पैदा हो जाना जिससे अभिलषित वस्तु की प्राप्ति में सुगमता हो। ईश्वर की कृपा, दैवानुग्रह
(ii) सामर्थ्य, शक्ति (iii) योग्यता, पात्रता, अहलियत

 

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खुदा या नाखुदा अब जिस को चाहो बख्श दो इज्जत,
हकीकत में तो किश्ती इत्तिफाकन बच गई अपनी।
-गोपाल मित्तल


1.नाखुदा - मल्लाह, कर्णधार, नाविक

 

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