कोई इन फूलों की किस्मत देखना,
जिन्दगी कांटों में पलकर रह गई।
-'अर्श' भोपाली
*****
कौन इस तर्जे-जफा-ए-आसमाँ की दाद दे,
बाग सारा फूँक डाला, आशियाँ रहने दिया।
-'अदीब' सहारनपुरी
1.जफा - सितम, अत्याचार
*****
खुदा तौफीक देता है उन्हें जो यह समझते हैं,
कि खुद अपने ही हाथों से बना करती हैं तकदीरें।
-'अफसर' मेरठी
1.तौफीक - (i) दैव योग से ऐसे कारण पैदा
हो जाना जिससे अभिलषित वस्तु की प्राप्ति में सुगमता हो। ईश्वर की कृपा,
दैवानुग्रह
(ii) सामर्थ्य, शक्ति (iii) योग्यता, पात्रता, अहलियत
*****
खुदा या नाखुदा
अब जिस को चाहो बख्श दो इज्जत,
हकीकत में तो किश्ती इत्तिफाकन बच गई अपनी।
-गोपाल मित्तल
1.नाखुदा - मल्लाह, कर्णधार, नाविक
*****
<<
Previous
page
- 1-2-3-4-5-6-7-8-9-10-11-12-13-14-15-16-17-18-19-20-21-22-23-24 Next >>